Saturday, May 27, 2017

वक्री बुघ


JAi mata di
: वक्री बुघ आमतौर पर ग्रहों के संबोधन को ही उनका असर मान लिया जाता है। जैसे नीच के ग्रह को नीच यानि घटिया और उच्‍च के ग्रह को उच्‍च यानि श्रेष्‍ठ मान लिया जाता है। यही स्थिति कमोबेश वक्री ग्रह के साथ भी होती है। उसे उल्‍टी चाल वाला मान लिया जाता है। यानि वक्री ग्रह की दशा में जो भी परिणाम आएंगे वे उल्‍टे ही आएंगे। ऐसा नहीं है कि केवल नौसिखिए या शौकिया ज्‍योतिषी ही यह गलती करते हैं बल्कि मैंने कई स्‍थापित ज्‍योतिषियों को भी यही गलती करते हुए देखा है।बुध का। बुध कभी भी सूर्य से तीसरे घर से दूर नहीं जा पाता है। यानि 28 डिग्री को पार नहीं कर पाता है। इसी के साथ दूसरा तथ्‍य यह है कि सूर्य के दस डिग्री से अधिक नजदीक आने वाला ग्रह अस्‍त हो जाता है। अब बुध नजदीक होगा तो अस्‍त हो जाएगा और दूर जाएगा तो वक्री हो जाएगा। ऐसे में बुध का रिजल्‍ट तो हमेशा ही नेगेटिव ही आना चाहिए। शब्‍दों के आधार पर देखें तो ग्रह के अस्‍त होने का मतलब हुआ कि ग्रह की बत्‍ती बुझ गई, और अब वह कोई प्रभाव नहीं देगा और वक्री होने का अर्थ हुआ कि वह नेगेटिव प्रभाव देगा।
वास्‍तव में दोनों ही स्थितियां नहीं होती।
टर्मिनोलॉजी से दूर आकर वास्‍तविक स्थिति में देखें तो सूर्य के बिल्‍कुल पास आया बुध अस्‍त तो हो जाता है लेकिन अपने प्रभाव सूर्य में मिला देता है। यही तो होता है बुधादित्‍य योग। ऐसे जातक सामान्‍य से अधिक बुद्धिमान होते हैं। यानि सूर्य के साथ बुध का प्रभाव मिलने पर बुद्धि अधिक पैनी हो जाती है। दूसरी ओर वक्री ग्रह का प्रभाव। सूर्य से दूर जाने पर बुध अपने मूल स्‍वरूप में लौट आता है। जब वह वक्री होता है तो पृथ्‍वी पर खड़े अन्‍वेषक को अधिक देर तक अपनी रश्मियां देता है। यहां अपनी रश्मियों से अर्थ यह नहीं है कि बुध से कोई रश्मियां निकलती हैं, वरन् बुध के प्रभाव वाली तारों की रश्मियां अधिक देर तक अन्‍वेषक को मिलती है। ऐसे में कह सकते हैं बुध उच्‍च के परिणाम देगा। अब यहां उच्‍च का अर्थ अच्‍छे से नहीं बल्कि अधिक प्रभाव देने से है। सुबह यह है कि बुद्ध कब अच्‍छे या खराब प्रभाव देगा

इसका जवाब बहुत आसान है। जिस कुण्‍डली में बुध कारक हो और अच्‍छी पोजिशन पर बैठा हो वहां अच्‍छे परिणाम देगा और जिस कुण्‍डली में खराब पोजिशन पर बैठा हो वहां खराब परिणाम देगा। इसके अलावा जिन कुण्‍डलियों में बुध अकारक है उनमें बुध कैसी भी स्थिति में हो, उसके अधिक प्रभाव देखने को नहीं मिलेंगे।

[सारावली के अनुसार वक्री ग्रह सुख प्रदान करने वाले होते हैं लेकिन यदि जन्म कुंडली में वक्री ग्रह शत्रु राशि में है या बलहीन अवस्था में हैं तब वह व्यक्ति को बिना कारण भ्रमण देने वाले होते हैं. यह व्यक्ति के लिए अरिष्टकारी भी सिद्ध होते हैं.फल दीपिका में मंत्रेश्वर जी का कथन है कि ग्रह की वक्र गति उस ग्रह विशेष के चेष्टाबल को बढ़ाने का काम करती है.

कृष्णमूर्ति पद्धति के अनुसार प्रश्न के समय संबंधित ग्रह का वक्री होना अथवा वक्री ग्रह के नक्षत्र में होना नकारात्मक माना जाता है. काम के ना होने की संभावनाएँ अधिक बनती हैं. यदि संबंधित ग्रह वक्री नहीं है लेकिन प्रश्न के समय वक्री ग्रह के नक्षत्र में स्थित है तब कार्य पूर्ण नहीं होगा जब तक कि ग्रह वक्री अवस्था में स्थित रहेगा.

सर्वार्थ चिन्तामणि में आचार्य वेंकटेश ने वक्री ग्रहों की दशा व अन्तर्दशा का बढ़िया विवरण किया है.
सर्वार्थ चिन्तामणि के अनुसार ही वक्री बुध अपनी दशा/अन्तर्दशा में शुभ फल प्रदान करता है. व्यक्ति अपने साथी व परिवार का सुख भोगता है. व्यक्ति की रुचि धार्मिक कार्यों की ओर भी बनी रहतीहै बुद्ध बक्री वर्ष में तीन बार होता है,और यह ग्रह केवल चौबीस दिन के लिये बक्री होता है,इस ग्रह के द्वारा अपने फ़लों में बाहरी प्राप्तियों के लिये लाभकारी माना जाता है,अन्दरूनी चाहतों के लिये यह समय नही होता है,यह दिमाग में झल्लाहट पैदा करता है,इन झल्लाहटों का मुख्य कारण कार्यों और कही बातों में देरी होना,पिछली बातों का अक्समात सामने आ जाना वे बाते कही गयीं हो या लिखी गयीं हो,इसके साथ ही इस बक्री बुध का प्रभाव आखिरी मिनट में अपना फ़ैसला बदल सकता है। यह समय किसी भी कारण को क्रियान्वित करने के लिये सही नही माना जाता है,जैसे किसी एग्रीमेंट पर साइन करना,और अधिकतर उन मामलों में जहां पर लम्बी अवधि के लिये चलने वाले कार्यों के लिये एग्रीमेंट तो कतई सफ़ल नही हो सकते हैं। इस समय में साधारण मामले जो लगातार दिमाग में टेंसन दे रहे होते है,उनको निपटाने के लिये अच्छे माने जाते है,उन कारकों के लिये अधिक सफ़ल माने जाते हैं जिनके अन्दर संचार वाले साधन और कारण ट्रांसपोर्ट और आने जाने के प्लान,जो साधारण टेंसन वाले कारण माने जाते है वे किसी प्रकार के कमन्यूकेशन को बनाने और संधारण करने वाले काम,किसी से बातचीत करने वाले काम,आने जाने के साधन को रिपेयर करने वाले काम टेलीफ़ोन के अन्दर बेकार की खराबियां उन समाचारों को जो काफ़ी समय से डिले चल रहे हों,जिन सामानों और पत्रावलियों को वितरित नही किया गया हो उन्हे वितरित करने वाले काम,मशीने जो जानबूझ कर बन्द की गयी हो उन्हे चलाने वाले काम,और जो किसी के साथ अक्समात अपोइटमेंट के कारण बनाये गये हों,और अधिकतर उन मामलों जो आखिरी समय में बनाये गये हों या बनाकर कैंसिल किये गये हों। यह समय उन बातों के लिये भी मुख्य माना जाता है,जो पिछले समय में प्लान बनाये गये हों,और उन प्लानों पर काम किया जाना हो,और प्लानों के अन्दर की बातों को सही किया जाना हो,यह समय उन कारकों को के लिये भी प्रभावी माना जा सकता है जिनके लिये दिमागी रूप से कार्य किया जाना हो,जैसे किसी बात की खोजबीन करना,रीसर्च करना, जो कोई बात लिखी गयी हो या लिखकर उसे सुधारने का काम हो,लिखावट के अन्दर की जाने वाली गल्तियों को सुधारने का काम,यह समय ध्यान लगाने समाधि में जाने और ध्यान लगाकर सोचने वाले कामों के लिये भी उत्तम माना जाता है,अपने अन्दर की बुराइयों को पढने का यह सही समय माना जाता है,मनोवैज्ञानिक तरीके से किसी बात को मनवाने के लिये यह समय उत्तम माना जाता है। नये तरीके के विचार बनाये जा सकते है लेकिन उनको क्रियान्वित नही किया जा सकता है,और उन कामों को करने का उत्तम समय है जो पिछले समय में नही किये जा सके है। इस प्रकार से बक्री बुध शेयर बाजार की गतिविधियों के मामले में भी खोजबीन करने के लिये काफ़ी है,किसी भी प्रकार के तामसी कारकों को प्रयोग करने के बाद की जाने वाली क्रियान्वनयन की बातों के ऊपर भी यह बक्री बुध जिम्मेदार माना जाता है। इस बुध के कारणों में उन बातों को भी शामिल किया जाता है जो पहले कही गयी हों या संचार द्वारा सूचित की गयीं हो,उनके लिये फ़ैसला देने के लिये यह बुध उत्तरदायी माना जा सकता है।

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